
अवैध खनन पर कार्यवाही
हमीरपुर के एसडीएम सदर ने 12 मई को बेरी क्षेत्र में कार्यवाही कर अवैध खनन को देखा
हमीरपुर। चित्रकूट मंडल के हमीरपुर की बेरी ग्रामपंचायत क्षेत्र में बेतवा नदी पर अवैध खनन की खबरों पर बीते 12 मई को एसडीएम सदर / ज्वाइंट मजिस्ट्रेट संजय कुमार मीणा ने कार्यवाही की हैं। फौरी कार्यवाही करते हुए उन्होंने बताया कि आज बेरी स्थित मौरम खंड संख्या 10/33 का उनके द्वारा मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया। खंड संख्या 10/33 में 03 प्रतिबंधित पोकलैंड मशीन पायी गयी हैं। जिन्हें सीज कर बेरी चौकी को सुपुर्द किया गया हैं। इसमें से 02 पोकलैंड मशीन बेरी साइड तथा 01 पोकलैंड नदी के दूसरी और पाई गई है। इसके अलावा उन्होंने एक ओवरलोड ट्रक को भी सीज कर चौकी बेरी को सुपुर्द किया है। इसके अलावा आगे की कार्यवाही भी की जा रही है। एसडीएम सदर ने कहा की अवैध खनन किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ज्ञात हो कि जनपद में जिलाधिकारी डॉ चंद्र भूषण के निर्देश पर अवैध खनन / अवैध परिवहन पर प्रभावी अंकुश लगाए जाने के दृष्टिगत नियमित रूप से छापेमारी की कार्यवाही की जा रही है। गौरतलब हैं बीते तीन दिन पूर्व बेरी क्षेत्र के बेतवा नदी खंड 36 में अवैध खनन का वीडियो स्थानीय रहवासी ने उपलब्ध कराया था जो बाँदा के एक प्राथमिक विद्यालय में तैनात हैं। सोशल मीडिया व ट्विटर हैंडल पर शासन को इसकी जानकारी दी गई थी। वहीं गांव कनेक्शन के पत्रकार सतीश मालवीय ने बुंदेलखंड पानी यात्रा सीरीज की पड़ताल में मध्यप्रदेश के विदिशा आसपास से बेतवा नदी की तस्वीर टिवीटर पर शेयर कर लिखा कि "अपने 100 किलोमीटर के शुरुआती सफर में बेतवा नदी पूरी तरह सुखी हैं। गांवो में ग्राउंड वाटर 300 फिट तक उतरा है।" बतलाते चले कि एनजीटी ने हमीरपुर ज़िले में बेतवा नदी पर कुछ जगह खनन कार्य मे रोक लगाई थी। गत वर्ष एनजीटी ने एक जनहित याचिका पर निर्देश दिए थे कि बेतवा के दोनों तरफ कैचमेंट एरिया में किसी प्रकार का उत्खनन कार्य नहीं किया जाए। साथ ही इस क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट बनाकर नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया जाए। इधर 12 मई को स्थानीय कार्यवाही पर एसडीएम सदर ने कहा है कि जनपद में अवैध खनन/ अवैध परिवहन किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं किया जाएगा। देखने वाली बात होगी कि हमीरपुर में बेतवा-यमुना पर क्या स्थाई रूप से पोकलैंड मशीनों के द्वारा अवैध खनन पर रोक लगती है या नहीं। सनद रहे हमीरपुर में सीबीआई जांच भी चलती रही है जिसकी अंतिम कार्यवाही होना बांकी हैं। इसमें तत्कालीन ब्यूरोक्रेसी के कुछ अधिकारियों की संलिप्तता व तत्कालीन खनन पट्टेधारक की बड़ी भूमिका रही है।